छात्र एवं अनुशासन पर निबंध

छात्र एवं अनुशासन पर निबंध

 

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भूमिका – जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक है। अनुशासन भी एक प्रकार की विधा है। अपनी दिनचर्या बोल -चाल, रहन-सहन सोच – विचार एवं अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है।

छात्र जीवन में अनुशासन का महत्व – विद्यार्थी के लिए अनुशासित होना परम आवश्यक है। अनुशासन से विद्यार्थी को सब प्रकार का लाभ ही होता है। अनुशासन अर्थात निश्चित व्यवस्था से समय और धन की बचत होती है। जिस छात्र ने अपनी दिनचर्या निश्चित कर ली है, उसका समय व्यर्थ नहीं जाता। वह अपने एक-एक क्षण का समुचित उपयोग उठना है। वह समय पर मनोरंजन भी कर लेता है तथा अध्ययन भी पूरा कर पता है। इसके विपरीत अनुशासनहीन छात्र आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालकर अपने लिए मुसीबतें इकट्ठी कर लेता है।

अनुशासनहीनता के कारण – आज भारत में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासनहीनता है। आज का विद्यार्थी साजश्रृंगार सुख आराम की इच्छा रखता है। दूसरी बात माता-पिता द्वारा अच्छी तरह ध्यान नहीं देना, खराब संगत है।

सुधार के उपाय – अनुशासन का गुण बचपन में ही ग्रहण किया जाना चाहिए। इसलिए इसका संबंध छात्रा से है। विद्यालय की सारी व्यवस्था में अनुशासन और नियमों को लागू करने के पीछे यही बात है। यही कारण है कि अच्छे अनुशासित विद्यालयों के छात्र जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं। अनुशासन हमारे हौच-पौच जिंदगी को साफ तक सुलझी हुई व्यवस्था देता है। इसके कारण हमारी शक्तियाँ केंद्रित होती है। हमारा जीवन उद्देश्यपूर्ण बनता है तथा हम थोड़े समय में ही बहुत काम कर पाते हैं।

उपसंहार – अनुशासन का अर्थ बंधन नहीं है। इसका अर्थ है-व्यवस्था। इसका अनुकरण करके ही जीवन में सफल हुआ जा सकता है।

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