होली पर निबंध
भूमिका – भारत उत्सव का देश है। होली सबसे अधिक रंगीन और मस्ती भरा उत्सव है। इस दिन भारत वर्ष में सभी फकृकड़ता और मस्ती की भँग में मस्त रहते हैं।
होली – होली वाले दिन लोग छोटे- बड़े ऊंच-नीच गरीब अमीर- ग्रामीण- शहरी का भेद भूलकर एक दूसरे से गले मिलते हैं तथा परस्पर गुलाल लगाते हैं।
पौरानिक कथा – होली के मूल में हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद और होलिका का प्रसंग आता है। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मार डालने के लिए होलिका को नियुक्त किया था। होलिका के पास एक ऐसी चादर थी, जिसे ओढ़ने पर व्यक्ति आग के प्रभाव से बच सकता था। होलिका ने उस चादर को ओढ़कर प्रहलाद को गोद में ले लिया और अग्नि में कूद पड़ी, वहाँ देवी चमत्कार हुआ। होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। परंतु प्रहलाद का बाल भी बाँका न हुआ। तब से लेकर आज तक होलिका दहन की स्मृति में होली का पर्व मनाया जाता है।
होली की विशेषता – होली का उत्सव दो प्रकार से मनाया जाता है। होली के एक या दो दिन पहले रात्रि में लकड़ी झाड़ – झंखार एकत्र कर उसमें आग लगा देते हैं और समूह में इकट्ठे होकर गीत गाते हैं। आग जलाने कि यह प्रथा होलिका- दहन की याद दिलाती है। ये लोग रात को आतिशबाजी आदि जलकर भी अपनी खुशी प्रकट करते हैं।
उपसंहार – इस दिन गली- मोहल्ले में ढोल- मजीरे बजते सुनाई देते हैं। कोई नीले- पीले वस्त्र पहनें घूमता है, तो कोई जोकर की मुद्रा में मस्त रहता है। बच्चे पानी के रंगों में एक- दूसरे को नहलाने का आनंद लेते हैं। बच्चे पिचकारियों से भी रंग की वर्षा करते दिखाई देते हैं। परिवारों में इस दिन लड़के – लड़कियाँ बच्चे- बूढ़े तरुण- तरुनियाँ सभी मस्त होते हैं। प्रों महिलाओं की रंगबाजी रोचक वन पड़ती है। इस प्रकार यह उत्सव मस्ती है और आनंद से भरपूर है।
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