(1) भारतमाता कविता में भारत के किस रूप का उल्लेख है ?
उत्तर – भारतमाता शीर्षक कविता में भारत के दयनीय रूप का उल्लेख है। भारत उस समय ब्रिटेन का उपनिवेश था जिसके कारण गुलामी की पीड़ा को झेल रहा था। सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश गरीबी के दलदल में फँसा रहने के लिए विवश था ।
(2) कवि दिनकर किनके सिर पर मुकुट धरने की बात करते हैं, और क्यों ?
उत्तर – कवि तैंतीस कोटी जनता (प्रत्येक जन) के सिर पर मुकुट धरने की बात करता है। जनतंत्र में सभी नागरिक की समान भागीदारी होती है। जनतंत्र में सारे नागरिक समान अधिकार एवं कर्तव्यबोध से सम्मिलित होते हैं, अर्थात जनतंत्र में जनता द्वारा शासन होता है; अतः कवि ने प्रत्येक जन (नागरिक) के सिर पर मुकुट धरने की बात की है।
(3) दिनकर ने जनता के स्वप्न का चित्र किस तरह खींचा है ?
उत्तर – दिनकर के अनुसार, जनता के स्वप्नों में अपूर्व तेज दाहकता और घोर निराशा के अंधकार को दूर करने की क्षमता है। जनता के स्वप्न अजेय एवं रौद्र रूप धारण करने वाले हैं।
(4) विराट जनतंत्र का स्वरूप क्या है ?
उत्तर – कवि के अनुसार, भारत में आने वाला जनतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा जनतंत्र है। इस जनतंत्र में तैंतीस कोटी (करोड़) जनता की भागीदारी है। दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है जो भारत के इस विशाल और व्यापक जनतंत्र का मुकाबला कर सके।
(5) कवि ने जनता को दूधमुँही क्यों कहा है ?
उत्तर – कवि रामधारी सिंह दिनकर में राजनेताओं की दृष्टि में जनता को दूधमुंँही कहा है। राजनेता जनता को दूधमुँही बच्चों के समान अबोध समझते हैं जिसे दो – चार खिलौने के आकर्षण में फँसाकर अपना स्वार्थ सिद्ध किया जा सकता है।
(6) हिरोशिमा कविता से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर – हिरोशिमा शीर्षक कविता (कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय) से हमें यही शिक्षा मिलती है कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। इससे समस्या सुलझने की वजह और उलझती है। प्रेम और त्याग से सारी विकट समस्याओं का हल निकल सकता है।
(7) निकलने वाला सूरज क्या है ? वह कैसे निकलता है?
उत्तर – निकलनेवाला सूरज मानवनिर्मित विनाशक परमाणुबम से उत्पन्न तेज विस्फोटक रोशनी है। यह प्रतिदिन पूरब से निकलनेवाला सूरज नहीं है, बल्कि यह एक दिन सहसा निकलनेवाला सूरज है। यह पूर्वी क्षितिज पर नहीं निकलकर हिरोशिमा नगर के चौक पर निकलता है।
(8) प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का क्या आशय है?
उत्तर – प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय परमाणुबमरूपी सूरज के प्रखर ताप से है जिसने अपने संग हा रक्त आपसे सारा कुछ विध्वस्त कर दिया है।
(9) वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था ?
उत्तर – बूढ़ा चौकीदार वृक्ष हमारी बूढ़ी अनुभवी पीढ़ी के साथ-साथ सर्तक बुद्धिजीवी वर्ग की प्रतीक है, जो अच्छे बुरे को दूर से ही पहचान लेता है। बुढा चौकीदार वृक्ष कवि को आते देख दूर से ही ललकारकर पूछता था, कौन ? कवि जवाब देता था, दोस्त! जिसे सुनकर चौकीदार वृक्ष दोस्ती के आगे नतमस्तक हो जाता था। यह संवाद दर्शाता है कि अनुभवी बुद्धिजीवी वर्ग हर खतरे को भाँप सकता है। जिसे आज अनदेखा किया जा रहा है।
(10) एक वृक्ष की हत्या शीर्षक कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र कर करता है ?
उत्तर – एक वृक्ष की हत्या शीर्षक कविता का समापन करते हुए कवि कहता है कि मुझे अपने घर शहर और देश के साथ – साथ नदियों वायुमंडल खाद्य पदार्थ जंगलों तथा मनुष्यजाति की चिंता (अंदेशा) है। कवि यह सब देख रहा है कि उसका घर शहर एवं देश को बर्बाद किया जा रहा है, वह यह भी देखता है कि नदियों वायुमंडल खाद्य पदार्थों तथा जंगलों को कैसे नष्ट किया जा रहा है? यहाँ तक की संपूर्ण जाति का भी हास होता जा रहा है जो कवि को अंदेशों से ग्रसित करता है।