(1) गुणनिधि का परिचय दीजिए।
उत्तर – गुणनिधि लक्ष्मी (ढलते विश्वास शीर्षक कहानी की नायिका) के पड़ोस का पढ़ाकू लड़का था। उसमें अपने गाँव के प्रति विशेष प्रेम था । कटक से उच्च शिक्षा प्राप्तकर वह अपने गाँव लौटा था। उसमें समाज सेवा की भावना थी। गाँव में बाढ़ आने पर उसने ग्रामीणों की रक्षा के लिए दिन – रात मेहनत की। लक्ष्मी के शब्दों में वह पढ़ लिखकर भी नालायक नहीं था। वह सभ्य तो था ही, सुसंस्कृत भी था।
(2) मेट्रन ने माँ को कैसा आश्वासन दिया ?
उत्तर – मेट्रन ने माँ को आश्वासन देते हुए कहा कि आज तक आप मंगु की माँ थी, पर जब आप इसे अस्पताल में छोड़ कर जा रही है, तब आज से मैं इसकी नई माँ हूँ। आप किसी बात की चिंता ना करें।
(3) माँ को किस बात का पछतावा था ? पुत्र को भी अस्पताल से लौटने के बाद नींद क्यों नहीं आई ? उसका हृदय क्या पुकार उठा ? उसके अंतर ने कैसी प्रतिज्ञा की ?
उत्तर – माँ को इस बात का पछतावा था कि माँ होकर भी उसने अपने पागल और गूँगी लड़की को अस्पताल में छोड़ दिया। उसे अपनी लड़की को अस्पताल में नहीं छोड़ना चाहिए था। ना जाने वह अस्पताल में माँ के बिना कैसे रहेगी। अस्पताल के लोग उस पर उचित ध्यान रख पाएंगे या नहीं ! इन्हीं चिंताओं में डूबी माँ अपने कृत्य पर पछता रही थी।
(4) वेदना का काला पत्थर किसकी छाती पर रखा गया था? वह काला पत्थर कैसे खिसक गया ?
उत्तर – बहन मंगु को जब से उसका भाई अस्पताल में छोड़ आया था, तब से उसे ऐसा लग रहा था मानव वेदना का काला पत्थर उसकी छाती पर रख दिया गया हो। पर जब उसके अंतर ने यह प्रतिज्ञा की कि मैं मंगु को जीते – जी अच्छी तरह से पालूँगा ; बहु उसका मल – मूत्र धोने को तैयार नहीं होगी, तो मैं धोऊँगा, तब उसकी छाती पर रखा गया वेदना का वह काला पत्थर खिसक गया। वह भीतर से अपने को हल्का महसूस करने लगा।
(5) माँ मंगु की श्रेणी में क्यों मिल गई ? कहानी काला की दृष्टि से कहानी का अंत कैसे है ?
उत्तर – मंगु को अस्पताल में छोड़कर आने के बाद माँ अपने को अपराधी मानने लगी। संतान को लेकर व्याप्त चिंताओं के कारण उसकी रात की नींद जाती रही। अपराध – बोध के दबाव से वह विक्षिप्त हो उठी। अंतत: वह चीखें मार-मार कर कहने लगी – दौड़ो रे दोड़ौ ! मेरी मंगु को मार डाला रे°°°°!”माँ भी मंगु की श्रेणी में शामिल हो गई ।
(6) मंगु को अस्पताल ले जाने के समय माँ की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर – मंगु को अस्पताल ले जाने के समय माँ की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उसकी आँखों से अश्रु की अविरल धारा बहने लगी। उसका हृदय चित्कार उठा।
(7) मंगू को पागलों के अस्पतालों में भर्ती करने की सलाह पर माँ जवाब में क्या कहती थी ?
उत्तर – मंगु को पागलों के अस्पताल में भर्ती करने की सलाह पर माँ जवाब देती – मैं माँ होकर अपनी पागल पुत्री की सेवा नहीं कर सकती, तो अस्पताल वालों को क्या पड़ी है ? मैं अपनी पुत्री की भर्ती अस्पताल में करू, यह मुझसे संभव नहीं है। अमंग जानवरों की गौशाला में भर्ती कर आने जैसा ही यह कहा जाएगा।”
(8) तीन गोरे निष्णात डॉक्टरों ने क्या निदान प्रकट किया था ?
उत्तर – तीन गोरे निष्णात कुशल डॉक्टरों ने एकमत होकर यही निदान प्रकट किया था की पागलपन मिटाना संभव नहीं है, लेकिन यदि उसे किसी ट्रेंड और अनुभवी नर्स या डॉक्टर की देखरेख में रखा जाए, तो आदत के कारण कहीं उसे टट्टी – पेशाब और कपड़ों का ध्यान आ जाए।
(9) अगहन का महीना माँ के लिए आराध्यदेव क्यों बन गया थी ?
उत्तर – किसी ज्योतिषी ने कहा था कि आने वाला अगहन का महीना मंगु के लिए श्रेष्ठ है। इसकी पूरी संभावना है कि अब हर महीने में ठीक हो जाए। तभी से अगहन का महीना माँ के लिए आराध्यदेव बन गया था।
(10) माँ मंगु को अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती थी ?
उत्तर – माँ को अस्पताल के कर्मचारियों पर यह भरोसा नहीं था कि वे जन्म की पागल और गूँगी मंगु की यथोचित सेवा कर सकेंगे। वह अस्पताल को अपंग जानवरों की गौशाला के रूप में समझती थी। इसलिए वह मंगु को अस्पताल में भर्ती कराना नहीं चाहती थी।
(11) माँ कहानी के शीर्षक की सार्थकता था पर विचार करें।
उत्तर – माँ शिक्षक कहानी में शुरू से अंत तक माँ के चरित्र को प्रमुख रूप से चित्रित किया गया है। यह कहानी माँ के मनोविज्ञान को पूर्णता में प्रस्तुत करती है। इस कहानी की मुख्य चरित्र माँ है जो अपने निश्चल और निस्स्वार्थ प्रेम के साथ पूरी कहानी में अपनी उपस्थिति दर्ज करती है। अतः कहानी का शीर्षक माँ सर्वथा सार्थक है।
(12) आज के मदुरै शहर को विभिन्न कालों में किस-किस नाम से पुकारा जाता था ?
उत्तर – आज का मदुरै प्राचीन मानचित्रो में मथरा नाम से उल्लिखित है। यूनानी लोग इसे मेदोरा के नाम से पुकारते थे। अँगरेज इसे मदुरा कहते थे।
(13) बल्लिस्माल के मन में अपनी बेटी के पास लौट जाने की तीव्र इच्छा क्यों जागी ?
उत्तर – बल्लि अम्माल अस्पताल में पाप्पाति (उसकी बेटी) को अकेली छोड़ कर आई थी। ना जाने वह किस दशा में होगी इस कारण वह परेशान हो उठी। इस स्थिति में उसके भीतर अपनी बेटी के पास लौट जाने की तीव्र इच्छा जाग पड़ी।
(14) बल्लि अम्माल अस्पताल में वापस लौटने का रास्ता न पा सकी, क्यों ?
उत्तर – बल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पाति को पहली बार बड़े अस्पताल में ले आई थी। वह पढ़ी-लिखी नहीं थी कि अस्पताल में यहाँ – वहाँ लिखी सूचनाओं में पढ़ सके। उसके लिए अस्पताल के सभी कमरे एक जैसे लगते थे, इस कारण वह वापस लौटने का रास्ता नहीं पा सकी।
(15) इसका उसपर कैसा असर हुआ ?
उत्तर – बेटी तक पहुँचने का रास्ता नहीं पाकर वह उद्विग्न हो उठी । वह पाप्पाति !पाप्पाति मैं तुझे कहाँ ढूँढू ? मैं अब कहाँ जाऊँ ? कहती हुई पूरे अस्पताल में घूमती फिरी, उसके भीतर बेटी तक पहुंचने की बेचैनी थी, पर वह रास्ता भूल गई थी। वह बेटी के प्रति आशंका से भर उठी। बेहोशी की हालात में वह छोड़ आई थी अपनी बेटी को। न जाने अब वह किस हालत में होगी। इस चिंता के मारे वह अधीर हो रही थी।
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