(1) जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं ?
उत्तर – जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में तर्क देते हैं कि आधुनिक सभ्य समाज कार्यकुशलता के लिए श्रम – विभाजन को आवश्यक मानता है और चुकी जाति-प्रथा भी श्रम- विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए उसमें कोई बुराई नहीं है।
(2) खोखा किन मामलों में अपवाद था।
उत्तर – सिंह साहब को पाँच पुत्रियाँ थी। पुत्र का जन्म कब हुआ जब संतान की कोई उम्मीद बाकी नहीं रह गई थी। अर्थात सेन साहब को पुत्र तब नसीब हुआ जब पति- पत्नी दोनों बुढ़ापे के अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुके थे। इसलिए खोखा जीवन के नियमों के अपवाद के साथ-साथ घर के नियमों का भी अपवाद था।
(3) लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं, और क्यों ?
उत्तर – लेखक की दृष्टि से सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में हो सकते हैं क्योंकि वहाँ के लोग भूभाग और परिवेश सब कुछ प्राकृतिक रूप में और शुद्ध रूप में मिलते हैं। गाँवों में ही भारत की आत्मा निवास करती है। सच्चे भारत के दर्शन ग्रामीण जीवन की सादगी त्याग, प्रेम, उत्कृष्टतम पारंपरिक संबंध आदि में देखने को मिलते हैं।
(4) बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?
उत्तर – बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को यह याद दिलाती है कि तुम भीतर वाले स्वभाविक अस्त्र से अब भी वंचित नहीं किए गए हो। तुम्हारे नाखून भुलाई नहीं जा सकते। तुम वही प्राचीनतम नख एवं दंत वाले पशु हो। तुम नाखूनों को चाहे जितना काटो वे बढ़ते ही रहेंगे। अतः प्रकृति मनुष्य को आदिमानव रूप की याद दिलाती है।
(5) वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
उत्तर – वनीता विश्व के समान हो जाती है जब व्यक्ति राम नाम की चर्चा या भजन न करके सांसारिकता की चर्चा करता है। तात्पर्य यह कि जब व्यक्ति ईश्वर के नाम की महिमा का गुणगान न करके मति – भ्रमता के कारण पूजा-पाठ कर्मकांड या ब्राह्याडंबर में विश्वास करने लगता है।
(6) रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता है ?
उत्तर – रंगप्पा गाँव का जुआरी और आवारा लड़का था। वे धन के लोभ में दही बेचकर आते समय मंगम्मा के साथ छेड़छाड़ क्या करता था और उससे पैसे भी झटक लेना चाहता था। इतना ही नहीं वह मंगम्मा को अनाथ समझकर उसकी इज्जत भी लूटना चाहता था।
(7) माँ मंगु को अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती थी ?
उत्तर – मंगु के प्रति माँ की ममता इतनी अधिक थी कि उसे किसी अन्य पर मंगु की देखभाल का भरोसा नहीं था। वह कहती थी कि मैं मां होकर उसका पूरा ख्याल नहीं रख पाती तो अस्पताल वाले पराए उसकी देखभाल क्या करेंगे। इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती नहीं कराना चाहती थी।
(8) लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति- प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है ?
उत्तर – जाति प्रथा को लेखक ने सामाजिक, व्यक्तिगत, आर्थिक, रचनात्मक तथा व्यावसायिक पहलुओं से हानिकारक रूप में दिखाया है। सामाजिक रूप में यह ऊँच-नीच का स्तर पैदा करती है। व्यक्तिगत रूप से यह व्यक्ति की रूचि तथा क्षमता की अवहेलना करती है। आर्थिक रूप में यह पूर्वनिर्धारित पेशे में व्यक्ति को जीने – मरने के लिए बाँध देती है। व्यावसायिक रूप में यह पेशे में बदलाव की गुंजाइश नहीं रहने देती। रचनात्मक रूप में यह सामाजिक गतिशीलता को अवरुद्ध कर देती है।
(9) पाप्पाति कौन थी ? वह शहर क्यों लाई गई ?
पाप्पाति तमिलनाडु के एक गाँव की महिला वल्लि अम्माल की बेटी थी। उसे बुखार आ गया। जब वल्लि अम्माल उसे लेकर गाँव के प्रायमरी हेल्थ सेंटर में दिखाने गई तो वहाँ के डॉक्टर ने अगले दिन सुबह ही जाकर नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने को कहा। अतः वल्लि अम्माल अम्माल पाप्पाति को लेकर सुबह की बस से नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने पहुंच गई।
(10) कवि की दृष्टि में माली – मालिन कौन है ?
उत्तर – कवि की दृष्टि में कृष्णा और राधा माली और मालीन है।
(11) दिनकर की दृष्टि में आज के देवता कौन है ?
उत्तर – दिनकर की दृष्टि में मजदूर तथा किसान ही आज के देवता।
(12) मनुष्य की छायाएँ में कहाँ और क्यों पड़ी हुई है ?
उत्तर – मनुष्य की छायाएँ झुलसे हुए पत्थरों और उजड़ी हुई सड़कों की गच (फर्श) पर पड़ी हुई है जहां मानव की नियति अकाल काल – कवलित (मरना) होना लिखा था।
(13) झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे पतली गली में दौड़ते हुए क्यों घुस गए ?
(क) झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में इसलिए घुस गए क्योंकि गली से घर नजदीक पड़ता था।
(14) लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है ?
उत्तर – लखनऊ में बिरजू महाराज के रामपुर में उनकी तीनों बहनों का जन्म हुआ था। बचपन में बिरजू महाराज रामपुर (वहाँ के नवाब के आमंत्रण पर) अपने पिताजी के साथ नाचने जाया करते थे।
(15) बढ़ते नाखून द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?
उत्तर – बढ़ते नाखून द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती रहती है कि तुम अब भी पशु हो उन्हीं की तरह आचरण करने वाले हो तुम इतने सभ्य हो गए हो फिर भी तुम पशु की तरह हिंसक, जड़, क्रोधी, ईर्ष्यालु और विवेकहीन हो।
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