Science class 10 subjective question
(1) विद्युतधारा की प्रबलता की परिभाषा दें।
उत्तर – किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ काट को पार करनेवाली विद्युत धारा की प्रबलता उस अनुप्रस्थ काट से होकर प्रति (एकांक) इकाई समय में प्रभावित आवेश का परिणाम है।
(2) प्रकाश का प्रकीर्णन से आप क्या समझते हैं? इसे एक उदाहरण देकर समझाएँ।
उत्तर -जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरते है, जिसमें धूल तथा अन्य पदार्थों के अत्यंत सूक्ष्म कण होते हैं, तो उनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है, इसे प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण आकाश रंग नीला दिखाई देता हैं।
(3) विद्युत विभव को परिभाषित करें और इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर – इकाई धनावेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य की मात्रा विद्युत विभव कहलाती है।
V=w/q
विद्युत विवाह का SI मात्रक वोल्ट (v) है।
(4) दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक- दूसरे को प्रतिच्छेदित क्यों नहीं करती है?
उत्तर – दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी एक- दूसरे को प्रतिछेद नहीं करती। यदि वह कभी एक दूसरे को प्रतिच्छेद करेंगे तो प्रतिशत के बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हो जाएँगी जो एक असंभव है।
(5) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में दो अंतर लिखें।
उत्तर -नवीकरणीय ऊर्जा या अक्षय ऊर्जा स्रोतों में वे सारे ऊर्जा स्रोत शामिल है जो प्रदूषण कारक नहीं है तथा जिनमें स्त्रोत का क्षय नहीं होता है या उनका पुनः भरण होता रहता है।
उदाहरण -पानी, सूर्य, पवन, भूतापीय ऊर्जा स्रोत इत्यादि।
इसके विपरीत अनवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत प्रकृति में सीमित मात्रा में है और उनके निर्माण में हजारों वर्ष लग जाते हैं।
उदाहरण – कोयला, पेट्रोलियम आदि।
(6) किस परिस्थिति में फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर -फ्लेमिंग का दक्षिणहस्त नियम एक बहु- उपयोगी स्मारक युक्ति है, जिसकी सहायता से सदिश रशियाँ (जैसे- चुंबकीय बल) की दिशा ज्ञात करने की सुविधा मिलती है।
इस नियम की आवश्यकता निम्न स्थितियों में आती है:
(i) दो सदिशों के गुणनफल की दिशा जानने में।
(ii) कोणीय वेग की दिशा निकालने में।
(iii) बलाघूर्ण (टॉक) की दिशा निकालने में।
(7) मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर – इंसुलिन वह हार्मोन है जो अग्न्याशय मैं उत्पन्न होता है। यह रुधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यदि वह उचित मात्रा में स्रावित नहीं होता तो रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है जिस कारण शरीर में अनेक हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। इसलिए मधुमेह के रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर की जाती है।
(8) पित्त क्या है? मनुष्य के पाचन में इसका क्या महत्व है?
उत्तर – पित्त गढ़ा एवं हरा रंग का क्षारीय द्रव है जो आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय कायम की अम्लीयत को नष्टकर उसे क्षारीय बनता है ताकि अग्नियाशयी रस के एंजाइम उसे पर क्रिया कर सके। पित्त के लवणों की सहायता से भोजन के वसा का विखंडन तथा पायसीकरण होता है ताकि वसा को तोड़ने वाला एंजाइम उसे पर आसानी से क्रिया कर सके। इस प्रकार पित्त पाचन में सहायक होता है।
(9) स्वयंपोशी तथा विषमपोषी में क्या अंतर है ?
उत्तर – स्वयंपोशी और विषमपोषी में निम्न अंतर है –
स्वयंपोशी- (i) वे जीव जो प्रकाश- संश्लेषण की क्रिया द्वारा सरल अकार्बनिक यौगिक से जटिल कार्बनिक पदार्थ का निर्माण कर अपना स्वयं पोषण करते हैं, स्वयंपोशी जीव कहलाते हैं।
(ii) सभी हरे पौधे यूग्लीना।
(iii) भोजन के निर्माण की क्रिया विधि प्रकाश- संश्लेषण में पर्णहरित तथा सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।
(iv) इन्हें अपने भोजन के निर्माण के लिए अकार्बनिक पदार्थ की आवश्यकता होती है।
विषमपोषी – (i) वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या अमृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषमपोषी जीव कहलाते हैं।
(ii) यूग्लीना को छोड़कर सभी जंतु अमरबेल, जीवाणु, कटक आदि।
(iii) इसमें भोजन का निर्माण नहीं होता।
(iv) इसमें जन्तुओं को अपने भोजन के लिए कार्बनिक पदार्थों की आवश्यकता होती है।
(10) पादप हार्मोन क्या है ?
उत्तर – वैसे विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो पौधों में वृद्धि और विभेदन संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं उन्हें पादप हार्मोन कहते हैं। पादप हार्मोन अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-ऑक्सिन , इथाइलीन, जिबरेलिन, साइटोकाइनिन, एब्सेसिस अम्ल।
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