(1) मंगम्मा बहू की कौन – सी बात सुनकर अपने को रोक नहीं पाई, उसने बहू को क्या जवाब दिया ? छोटी बातें कब बड़ी हो जाती है ? इसके क्या दुष्परिणाम होते हैं ?
उत्तर – एक दिन मंगम्मा की बहू ने उसे सुनकर कहा – बहू को एक जाकिट सिला कर नहीं दी, अलग होकर आपने मखमल की जाकिट पहनने लगी है।”यह सुनकर मंगम्मा अपने को रोक नहीं पाई। उसने बहू को जवाब देते हुए कहा-कड़े कर्ण फूल झुमकी और पदक क्या किसी और ने दिए हैं। वे सब तो मेरे ही दिए हुए हैं। फिर मेरे संबंध में ऐसा कहना क्या ठीक है ?
जब कोई एक दूसरे को पसंद नहीं करता तो छोटी बातें बड़ी हो जाती है। परिमाणस्वरूप झगड़े उठ खड़े होते हैं और संबंधित लोगों को बेहिसाब दु:ख उठाना पड़ता है।
(2) मंगम्मा अंधविश्वास में जीती है।” एक प्रसंग द्वारा इसका प्रतिपादन करें।
उत्तर – मंगम्मा अंधविश्वास में जीती थी। एक बार वह अपने पोते के लिए पुड़िया में मिठाई ले जा रही थी। वह सुकानपुर से आ रही थी। आम के पेड़ पर बैठा एक कौवा झट से मिठाई की पुड़िया उठा ले गया । कौवे से उसका स्पर्श हो गया। वह डर गई कि उसके दिन पूरे हो चले हैं, उसकी जान के लिए खतरा पैदा हो जाता है।
(3) बारी किसे कहते हैं ? मंगम्मा और कथावाचिका में बाड़ी की विधि कैसी थी ?
उत्तर – शहरों में रोज आकर दही देना और महीने के बाद पैसे लेने को बाड़ी कहते हैं। मंगामा जब कथावाचिका से दही लेने का आग्रह करती तब कथावाचिका उस दिन के भाव के अनुसार दही के पैसे दे देती या अगले दिन चुका देती। कथावाचिका और मंगम्मा में बाड़ी की नीति यही थी।
(4) मंगम्मा ने माँजी को आदमी को वश में रखने के कौन से गुर (टोने – टोटके) बताए ?
उत्तर – मंगम्मा ने माँजी को वश में रखने के कुछ महत्वपूर्ण गुर (टोने – टोटके) बताए। पत्नी को चाहिए कि पति को स्वादिष्ट भोजन कराए। सज- सँवरकर रहे। दुखी रहने पर भी हँसकर बातें कर। घर का सामान एक बार मँगवा ले। पति को जरूरत पड़े तो अपने पैसों में से कुछ पैसे उन्हें दे। मंगम्मा पढ़ी-लिखी नहीं थी। उसके मुँह से ऐसी बातें सुनना चमत्कार से कम नहीं था। इसी वजह से माँजी को आश्चर्य हुआ।
(5) मंगम्मा आपने बेटे – बहू से अलग क्यों हो गई ?
उत्तर – मंगम्मा की बहू नंजम्मा ने अपने बेटे को (मंगम्मा के पोते को) किसी बात पर खूब पीता। मंगम्मा के मना करने पर बहु उसके ऊपर चढ़ बैठी । तकरार बढ़ गई। माँ ने बेटे से निर्णय करने के लिए कहा। बेटे ने पत्नी का पक्ष लिया। उसने कहा कि यदि मैं पत्नी को छोड़ दूंगा तो वह बेसहारा हो जाएगी। तुम्हारा क्या है माँ तुम्हारे पास गाय बैल हैं, पैसा है, तुम्हारा गुजर बसर हो सकता है। मंगम्मा ने बेटे का इरादा पर लिया और वह अपने बेटे – बहू से अलग हो गई।
(6) माँजी ने मंगम्मा को उसके अंधविश्वास के बारे में क्या समझाया ?
उत्तर – माँजी ने मंगम्मा को समझाया कि अंधविश्वास में जीना पागलपन है। अंधविश्वास काल्पनिक होता है, उसमें वास्तविक नहीं होती। अतः लोक – प्रचलित अतार्किक धारणाओं से नहीं डरना चाहिए। कौवे ने तुम्हें छू दिया है, उससे क्या हुआ? कहीं कोई कौवे के छूने से मरता है! यह बेकार की बात है। अपने मन में ऐसी बात कभी नहीं लाना। हँसते – हँसते घर जाओ।
(7) मंगम्मा अत्यंत वात्सल्यमयी है।”इस पर संक्षेप में प्रकाश डालें।
उत्तर – मंगम्मा अत्यंत वात्सल्यमयी है। बेटे – बहू और पोते से अलग हो जाने के बाद भी उसका मन उन्हीं में रमा रहता है। बहु पोते को पिटती है, तो मंगम्मा उस पर बिगड़ जाती है। पोता अपनी दादी के पास दौरा आता हैं, तो दादी को एक नई जिंदगी मिल जाती है। बहु से बात – बात पर झगड़ने वाली मंगम्मा अब बहू से अलग होकर बराबर उसके ध्यान में खोई रहती है। वह दिवास्वप्न मैं अपने बेटे के पास होती है। वह बेटे की चिंता में हमेशा डूबती – उतरती रहती है।
(8) अपनी सास के बारे में नंजम्मा माँजी से क्या कहती है?
उत्तर – अपनी सांस के बारे में नंजम्मा माँजी से कहती है कि मैं सास को घर से निकालने के पक्ष में नहीं हूँ । मैं कोई राक्षसी नहीं हूँ । मैं सिर्फ यही चाहती हूँ कि मेरे दायरे का हक मुझे अवश्य मिले। बेटा गलती करे तो मैं उसे मार सकूँ यह मेरा हक होना चाहिए। मुझे भी समय पर कोई उचित बात कहने का हक होना चाहिए। सास को अपने बेटे पर हक है तो क्या एक पत्नी को अपने पति पर कोई हक नहीं होनी चाहिए ?
(9) बहू ने सास को मनाने के लिए कौन – सा तरीका अपनाया ?
उत्तर – बहू ने सास को मनाने के लिए अपने बच्चों को माध्यम बनाया। उसने अपने बच्चे को सिखाया कि तू अपनी दादी के पास चला जा, वह मिठाई देती है। हमारे घर कदम मत रखना। बच्चा दादी के पास चला गया। दादी पोते को पाकर निहाल हो उठी और धीरे-धीरे सास – बहू के बीच की दूरी सिमटने लगी।
(10) मंगम्मा का चरित्र – चित्रण करें।
उत्तर – मंगम्मा अपने छोटे – से परिवार की स्वामिनी है। वह वात्सल्यमयी मई है। वह अपने पोते को बहुत प्यार करती है। वह पतित्यक्ता है। उसमें जीवन के प्रति एक प्रकार की ऊव भी है और एक प्रकार का आकर्षण भी। उसमें लोक जीवन के सारे संस्कार वर्तमान है। उसमें अपने परिवार के प्रति अतिशय लगाव है। वह स्वाभिमानी है। अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए ही वह अपने बहू – बेटा से अलग हो जाती है।
(11) नंजम्मा का चरित्र – चित्रण करें।
उत्तर – नंजम्मा मंगम्मा की बहू है। उसमें स्त्रीसुलभ सारे गुण विद्यामन है। वह व्यवहारकुशल है। वह सही अर्थों में मानवी है। इसलिए तो वह अपनी सास को घर से निकालने के पक्ष में नहीं है, वह सिर्फ अपने दायरे का अधिकार जाती है, और कुछ नहीं। उसका यह प्रश्न विचारणीय है कि यदि माँ का अधिकार उसके पुत्र पर है, तो क्या पत्नी का अधिकार उसके पति पर नहीं है? वह अपनी संतान के साथ प्यार और फटकार दोनों तरह के व्यवहार को उचित समझती है।
(12) लक्ष्मी ने गुण विधि के संबंध में ऐसा क्यों सोचा – पढ़ लिख कर नालायक नहीं निकला ?”
उत्तर – प्रायः पढ़ – लिखकर लड़के नालायक निकल जाते हैं। नालायक इस अर्थ में कि उन्हें शारीरिक कार्य करने में लाज लगती है। वे अपने में इस कदर डूबे जाते हैं, यानी अपने जीवन बनाने की चिंता में हुए इतने व्यस्त हो जाती है कि उन्हें अपनी समाज के सुख-दुख का अहसास ही नहीं होता। गुणविधि कटक में पढ़ता है, पर उसमें ये अवगुण नहीं आए हैं। दलाई बांध की रक्षा के लिए वह पैंट – शर्ट उतारकर काछ लगाए अन्य पच्चीस लोगों के साथ कमर कसकर जुटा हुआ है।
(13) लक्ष्मी ने विपत्ति का ख्याल (अनुमान) कर क्या इंतजाम किया? बाढ़ आने के पहले लक्ष्मी ने क्या किया?
उत्तर – लक्ष्मी ने विपत्ति का अनुमान कर सतर्क होते हुए एक बोरे में थोड़ा सा चिउड़ा, दो काँसे के बरतन तथा कुछ कपड़े रख लिए थे। बाढ़ आने के पहले लक्ष्मी गुहाल में गई। उसने गाय और बछड़े के गले से पगहा खोल दिया। दोनों बकरियों को भी कमरे में खुला छोड़ दिया तथा घर की सारी चीजों को एक कमरे में रखकर ताला लगा दिया।
(14) कहानी के अंत में लक्ष्मी एक छोटे बच्चे के शव को खींच कर अपने सीने में भींच लेती है। कहानीकार इस मार्मिक दृश्य के माध्यम से क्या कहना चाहता है ?
उत्तर – कहानी के अंत में लक्ष्मी एक छोटे बच्चे के शव को खींचकर अपने सीने में भींच लेती है। कहानीकार इस मार्मिक दृश्य के माध्यम से यही कहना चाहता है कि पति कोलकाता में नौकरी करता था। पति द्वारा भेजे गए पैसों से सुचारू रूप से परिवार चलाना संभव नहीं था, अतः लक्ष्मी तहसीलदार साहब के घर छिटपुट काम कर के अतिरिक्त पैसे अर्जित कर अपने परिवार को सँभालने की कोशिश करती थी।
(15) लक्ष्मी तहसीलदार साहब के यहाँ काम क्यों करती थी ? लक्ष्मी को किस चिंता के मारे रात को नींद नहीं आती थी ?
उत्तर -लक्ष्मी का पति लक्ष्मण कोलकात्ता (कोलकाता) मैं नौकरी करता था। वह पत्नी को जो कुछ भेजता था उससे गुजारा न होने की वजह से लक्ष्मी को तहसीलदार साहब के यहाँ छिटपुट काम करना पड़ता था। तहसीलदार साहब के यहाँ से मिले पैसों से वह अपनी कमी पूरी कर लिया करती थी। एक महीना से लगातार बारिश हो रही थी। लगातार बारिश होने के कारण बाढ़ आने की चिंता से लक्ष्मी को रात को नींद नहीं आती थी।