Class 10th Hindi objective question Viren dangwal se Rainar Mariya railke Tak

(1) कवि गरीब बस्तियों का उल्लेख क्यों करता है ?

उत्तर – हमारी नींद शीर्षक कविता में कवि (वीरेन डंगवाल ने) गरीब बस्तियों का उल्लेख किया है। कवि ने गरीब बस्तियों में लाउडस्पीकर पर धमाके से होनेवाले देवी जागरण की चर्चा की है। कविता में आया यह प्रसंग अत्यंत सार्थक है। गरीब अपनी अज्ञानता के कारण गरीब बना रहता है। गरीब बस्तियाँ धर्म का उन्माद फैलानेवालों के कुचक्र में बहुत जल्द फँस जाती है। धर्म का वास्तविक अर्थ नहीं जानते हुए भी गरीब लोग उकसावे में आकर धमाके के साथ धार्मिक आचरण करते हैं। इससे सामाजिक व्यवस्था में एक प्रकार का विक्षोभ पैदा होता है।

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(2) मक्खी के जीवन – क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किए जाने का क्या आशय है ?

उत्तर – कवि के द्वारा मक्की के जीवन क्रम का  व्यंजनात्मक है। इसके माध्यम से कवि ने प्रति का स्तर पर मनुष्य की निरुद्देश प्राकृतिक प्रवृत्ति पैदा करना और जाना पर व्यंग्य करता है। कविता की ध्वनि है कि मनुष्य को नील निरूद्देश्य नहीं , सोद्देश्य जीना चाहिए, उसे नींद नहीं जागरण को महत्व देना चाहिए।

(3) हमारी नींद शीर्षक कविता की सार्थकता पर विचार कीजिए।

उत्तर – हमारी नींद शीर्षक कविता अत्यंत सार्थक है। कभी कहता है कि हमारी नींद में भी जीवन अपनी स्वाभाविक गति से विकसित होता रहता है, भले ही हमें इसका एहसास न हो। जीवन तो निरंतर गति का नाम है। यह नींद और जागरण दोनों में समान भाव से गतिमान है।

(4) अक्षर – ज्ञान शीर्षक कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट करें।

उत्तर – बेटा देवनागरी लिपि में हिंदी के ‘क’ वर्ण को लिखना सीख रहा है। ‘क’ कबूतर से उसकी कल्पना में कबूतर को फुदकते हुए नजर आता है, जिससे उसका ध्यान बँट जाता है । कबूतर के साथ उड़ने की लालसा में ‘क’अक्षर तिरछा हो जाता है, मानव पंख फड़फड़ाकर कबूतर उड़ने की चेष्टा कर रहा हो ।

(5) कविता किस तरह एक सांत्वाना और आशा जगाती है?

उत्तर – कविता के माध्यम से कवियत्री हमारे मन में एक सांत्वाना और आशा जगाती हुई गाती है कि विफलता ही विकास का रास्ता तैयार करती है। हम भी फल होकर अपनी निर्मलता से परिचित होते हैं और अपने सतत प्रयास से इसे दूर कर एक दिन सफल होते हैं।

(6) खालिस बेचैनी किसकी है ? बेचैनी का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर – खालिस बेचैनी बेटे की है जो हिंदी की वर्णमाला को लिपि में साधने का प्रयास कर रहा है। वह ‘ख’ वर्ण को लिप्यंतरित (देवनागरी लिपि में लिखता है) करता है। ‘ख’ से उसे खरहा की याद हो आती है । उसका बालमन कल्पना में खरहे के पीछे हो लेता है। वह अक्षर साधने को भूलकर वास्तविक खरहे को पाने के लिए बेचैन हो जाता है। इसी बेचैनी में उसका ‘ख’ रेखा से नीचे उतरकर वेडौल हो जाता है।

(7) कवि किसके बीच अंधेरे में होने की बात करता है ? आशय स्पष्ट करें ।

उत्तर – कवि जीवनानंद दास शाम के अंधेरे में अपने घर लौटते सरसों के बीच होने की बात करता है। कवि में बंगाल की सुरम्य प्रकृति के प्रति अनन्य अनुराग भाव है। वह इसी अनन्य अनुराग भाव के कारण सरसों के बीच अपने घर लौटने की अभिलाषा रखता है।

(8) कवि अगले जन्म में अपने मनुष्य होने में क्यों संदेह करता है ?

उत्तर – कवि अगले जन्म में अपने मनुष्य होने का संदेह करता है, क्योंकि जीविक के कारण मनुष्य अपनी मातृभूमि के साहचर्य से दूर चला जाता है। वह विभिन्न पक्षियों के रूप में जन्म लेने को इच्छुक है, जिससे वह अपने प्रदेश के साहचर्य का सुख प्राप्त कर सकेगा। कवि बंगाल की सुंदर प्रकृति से अतिशय प्रेम करता है। इसी कारण वह अगले जन्म में अपने मनुष्य होने में संदेह करता है।

(9) कवि को किन बात की आशंका है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – कवि को इस बात की आशंका है कि उसके बिना भगवान क्या करेगा। कवि भक्त और भगवान के अलौकिक संबंध के बारे में कहता है कि भक्त है तभी भगवान की सत्ता का परिणाम है। भक्त न हो तो भगवान का अर्थ भी समाप्त हो जाएगा। कभी अपनी आशंका के द्वारा भगवान और भक्त के अटूट संबंध का उल्लेख कर रहा है तथा भगवान और भक्त के पारंपरिक पर पर्यायत्व को प्रस्तुत कर रहा है।

(10) शानदार लबादा किसका गिर जाएगा, और क्यों ?

उत्तर – भक्तों का अस्तित्व अगर भगवान से है तो भगवान की सत्ता भक्त द्वारा शोभायमान है। ईश्वरीय महिमारूपी शानदार आवरण जो ईश्वर से लिपटा हुआ है, भक्तों के बिना प्रभु भक्तिरूपी लबादा से विहीन हो जाएंगे।

(11) कवि अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है?

उत्तर – भक्त कवि अपने को भगवान का जलपात्र मानता है। भक्त कवि की जीवात्मा परमात्मा का जल पात्र है जिसमें भगवान ने अपने सारे गुण द्रव्य संग्रहित कर रखे हैं। कवि के अस्तित्वरूपी जलपात्र में भगवान ने आनंद की मदिरा बहुत सँभालकर रखी है। जल पात्र के टूटने और उससे मदिरा के वह जाने पर लोग उसके अस्तित्व पर ही शंका करने लग जाएँगे।

(12) कवि किसको कैसा सुख देता है ?

उत्तर – कवि अपने नर्म प्रफुल्लित, रक्ताभ कपोलों की मुस्कान से भगवान को चट्टानों की ठंडी गोद में विश्राम करने तथा सूर्यास्त की रक्ताभ रंगों में आनंदित होने जैसा सुख देता है।

(13) कवि घनानंद के अनुसार प्रेम मार्ग की विशेषता क्या है ?

उत्तर – कवि घनानंद के अनुसार प्रेम का मार्ग अत्यंत सीधा है, इसमें टेढ़ापन नहीं होता। इसमें चतुराई का नामोनिशान नहीं होता। यह सत्य का मार्ग है। प्रेम का मार्ग एकनिष्ठता का मार्ग होता है।

(14) मंदिरों और राजप्रसादों और तहखानों में कौन रहते हैं? कवि के अनुसार वे क्या करते हैं ?

उत्तर – मंदिरों राजप्रसादों और तहखानों में क्रमश: धर्म के देवता राजा और धन के देवता का निवास होता है। कवि के अनुसार वे सभ्यता संस्कृति रक्षण पोषण सुख-समृद्धि देने का कार्य करते हैं।

(15) कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे ?

उत्तर – कवि दिनकर की दृष्टि में आज के देवता मंदिरों राजप्रसादों और तहखानों में नहीं मिलेंगे। आज के देवता तो मजदूर और किसान है। ये (आज के देवता) सड़कों पर गिट्टी तोड़ते और खेत – खलिहानों में काम करते मिलेंगे ।मजदूर सभ्यता की सर्जना तथा कृषक भरण पोषण करते हैं। इसी कारण वे देवता है।

 

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